
Dada Kamred
दादा कामरेड ... .यह उपन्यास लेखक की पहली रचना थी जिसने हिन्दी में रोमांस और राजनीति के मिश्रण का आरम्भ किया । यह उपन्यास बंगला उपन्यास सम्राट शरत् बाबू के प्रमुख राजनैतिक उपन्यास पथेरदावी' द्वारा क्रान्तिकारियों के जीवन और आदर्श के सम्बन्ध में उत्पन्न हुई भ्रामक धारणाओं का निराकरण करने के लिए लिखा गया था परन्तु इतना ही नहीं यह श्री जैनेन्द्र की आदर्श नारी पुरुष की खिलौना सुनीता' का भी उत्तर है । यशपाल के इस उपन्यास से चुटिया कर रूढ़िवाद के अन्ध अनुयाइयों ने लेखक को कत्ल की धमकी दी थी परन्तु देश की प्रगतिशील जनता की रुचि के कारण दादा कामरेड के न केवल हिन्दी में कई संस्करण , प्रकाशित हो चुके हैं बल्कि गुजराती, मराठी, सिन्धी और मलयालम में भी यह उपन्यास अनुवादित हो चुका है ।