व्यावहारिक वेदान्त के आलोक में लोकतांत्रिक प्रशासन / Vyavaharik Vedanta Ke Alok Me Loktantrik Prashasan

व्यावहारिक वेदान्त के आलोक में लोकतांत्रिक प्रशासन / Vyavaharik Vedanta Ke Alok Me Loktantrik Prashasan

पचास वर्ष पूर्व भारत स्वतंत्र हुआ फिर भी आज तक हमारी भारतीयता किन महान तथ्यों में निहित है इसका भान हम भारतवासियों को पूर्णरूपेण नहीं हुआ हैं। रामकृष्ण मठ एवं रामकृष्ण मिशन के महाध्यक्ष श्रीमत् स्वामी रंगनाथानन्दजी महाराज ने इन तथ्यों को अनेकानेक व्याख्यानों में उजागर किया है। इन्हीं कतिपय व्याख्यानों का प्रस्तुत पुस्तक में संकलन है। स्वामी रंगनाथानन्दजी महाराज ने अपने इन व्याख्यानों में, जो उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों के समूह को उद्बोधित किये थे, कहा है कि हमारे प्रशासन का प्रत्येक अधिकारी वैयक्तिक रूप से एक प्रबुद्ध नागरिक होना अति आवश्यक है। भगवद्गीता के ‘राजर्षि’ आदर्श को अपने जीवन में उजागर करना ही प्रत्येक भारतीय प्रशासनिक अधिकारी का ध्येय होना चाहिए। यह प्रबुद्ध नागरिक अपने अंतःस्थित दिव्यता को प्रकट करने का माध्यम करें – अपनी लोकसेवा को तथा अपने उत्तरदायित्वों को! इस प्रकार वेदान्त का चरम आदर्श अपने जीवन में तथा राष्ट्र के कार्यप्रणाली में अनुस्यूत कर दोनों घटकों का साथ साथ उन्नयन संपन्न करें। आज की परिस्थिति में इसकी महति आवश्यकता है।
Sign up to use